केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की कीमत 750 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से नीचे आती है तो घरेलू एलपीजी को और भी किफायती दरों पर बेचा जा सकता है।केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने निचले सदन में कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय कीमत कई कारकों से तय होती है और मैंने जो विश्लेषण पढ़ा उसमें से एक में कहा गया है कि कुछ साल में यह सब बीते जमाने की बात हो जाएगी क्योंकि तक काफी मात्रा में गैस उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा, ”लेकिन हमें अगले दो या तीन साल वर्तमान जैसी वैश्विक स्थिति से गुजरना होगा पर चीजें बेहतर हो रही हैं।
अभी भी 200 रुपये की सब्सिडी
उन्होंने कहा, 200 रुपये की (मौजूदा) सब्सिडी है। यह सब्सिडी क्या है? यह करदाताओं का पैसा है जो सबसे कमजोर हैं, हम हमेशा मदद के लिए तैयार हैं अगर इसे इस सदन और माननीय प्रधानमंत्री पर छोड़ दिया जाए यह आदर्श होगा यदि अंतरराष्ट्रीय या सऊदी अनुबंध मूल्य 750 डॉलर से और नीचे आ सकता है। इससे घरेलू एलपीजी को और भी किफायती दरों पर बेचा जा सकेगा। आयात मूल्य सऊदी अनुबंध मूल्य से जुड़ा हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें काफी बढ़ी
पुरी ने रसोई गैस पर लोगों को अधिक सब्सिडी प्रदान करने पर एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, दिलचस्प बात यह है कि पिछले दो वर्षो के दौरान सऊदी अनुबंध मूल्य-अगर हमें इसे संदर्भ अवधि के रूप में उपयोग करना है- 250 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर 900 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गया है। आज भी, मुझे लगता है यह लगभग 751 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है। मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गैस की बढ़ती कीमतों के बावजूद सरकार उपभोक्ता आबादी की जरूरतों के प्रति संवेदनशील है।
तीन सिलेंडर मुफ्त में दिए
पुरी ने अपने जवाब में कहा, “हमने घरेलू एलपीजी की कीमत में वृद्धि नहीं होने दी। सऊदी अनुबंध मूल्य में 333 प्रतिशत की वृद्धि हुई और फिर भी घरेलू एलपीजी की कीमत में बहुत कम वृद्धि हुई थी। उन्होंने सदन को बताया कि महामारी के दौरान भी, जब लॉकडाउन के कारण गरीब पीड़ित थे, सरकार ने उन्हें तीन सिलेंडर मुफ्त में दिए।